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रिमझिम सावन बरसे दिल मिलने को तरसे झूठे हैं मेरे

 रिमझिम सावन बरसे दिल मिलने को तरसे
झूठे हैं मेरे सजना हमसे प्यार ना करते..

रात की काली चादर यादों के ये साये
आ जाओ अब तो तुम मन मेरा घबराये..

जबसे दूर गये हो एक दिन भी ना सोये
तेरी याद में हरपल अँखियाँ मेरी रोयें..

भूल गये हमको तुम कैसे मन ये लागे
बिरहा की ये रैना तुझ बिन कैसे काटें..

©Akhilesh dubey
  Dil milne ko tarse..

Dil milne ko tarse.. #Shayari

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