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वक़्त कब बदल जाए इसका कभी पता नहीं, पिंजरे में कैद

वक़्त कब बदल जाए इसका कभी पता नहीं,
पिंजरे में कैद पक्षी भी कभी खुले आसमान की सैर को तरसता था,


और इन्सान पक्षियों को पिंजरे में कैद करता था और खुली हवा में घुमता था,
पर आज वो पक्षी आजाद खुले आसमान की सैर करके चहचहा रहा है और इन्सान घरों में बंद होकर अपनी स्वतंत्रता को तरस रहा।
Meenakshi Sharma तरस रहा है
वक़्त कब बदल जाए इसका कभी पता नहीं,
पिंजरे में कैद पक्षी भी कभी खुले आसमान की सैर को तरसता था,


और इन्सान पक्षियों को पिंजरे में कैद करता था और खुली हवा में घुमता था,
पर आज वो पक्षी आजाद खुले आसमान की सैर करके चहचहा रहा है और इन्सान घरों में बंद होकर अपनी स्वतंत्रता को तरस रहा।
Meenakshi Sharma तरस रहा है