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वर्षा की प्रतीक्षा में सिकुड़ती नदी जैसे फटे कपड़ो

वर्षा की प्रतीक्षा में सिकुड़ती नदी
जैसे फटे कपड़ों में देह छुपाने का प्रयत्न करती कोई स्त्री¡! 
आँचल में प्रेम में पूजी गई प्रतिमाओं के भग्नावशेष समेटे¡! 

देह पर
नाखूनों से उकेरे और मिटाए गए पसंदीदा नाम पढ़कर रोती¡! 
मैंने पहली बार जाना
स्त्री होना कितना त्रासदी भरा है¡! 
निर्जला होकर सर्व संसार को तृप्त करते चले जाना¡! 

शायर शुभ¡! वर्षा की प्रतीक्षा में सिकुड़ती नदी
जैसे फटे कपड़ों में देह छुपाने का प्रयत्न करती कोई स्त्री¡! 
आँचल में प्रेम में पूजी गई प्रतिमाओं के भग्नावशेष समेटे¡! 

देह पर
नाखूनों से उकेरे और मिटाए गए पसंदीदा नाम पढ़कर रोती¡! 
मैंने पहली बार जाना
स्त्री होना कितना त्रासदी भरा है¡!
वर्षा की प्रतीक्षा में सिकुड़ती नदी
जैसे फटे कपड़ों में देह छुपाने का प्रयत्न करती कोई स्त्री¡! 
आँचल में प्रेम में पूजी गई प्रतिमाओं के भग्नावशेष समेटे¡! 

देह पर
नाखूनों से उकेरे और मिटाए गए पसंदीदा नाम पढ़कर रोती¡! 
मैंने पहली बार जाना
स्त्री होना कितना त्रासदी भरा है¡! 
निर्जला होकर सर्व संसार को तृप्त करते चले जाना¡! 

शायर शुभ¡! वर्षा की प्रतीक्षा में सिकुड़ती नदी
जैसे फटे कपड़ों में देह छुपाने का प्रयत्न करती कोई स्त्री¡! 
आँचल में प्रेम में पूजी गई प्रतिमाओं के भग्नावशेष समेटे¡! 

देह पर
नाखूनों से उकेरे और मिटाए गए पसंदीदा नाम पढ़कर रोती¡! 
मैंने पहली बार जाना
स्त्री होना कितना त्रासदी भरा है¡!