Nojoto: Largest Storytelling Platform

बहती हुई हवाओँ का रुख मोड़ रहा हूँ ऐ ज़िन्दगी तेरे प

बहती हुई हवाओँ का रुख मोड़ रहा हूँ
ऐ ज़िन्दगी तेरे पीछे मैं दौड़ रहा हूँ
मेरे साथ रहकर भी कभी मेरा ना हुआ
उसके लिए ही सबको मैं छोड़ रहा हूँ
बरसो जिसे खून से मैं सींचता रहा
उस फूल को खुद ही आज तोड़ रहा हूँ
तमाम उम्र क़ैद रहा जिस मकान में
ऐ ईश्क तेरा पिंजरा मैं तोड़ रहा हूँ
ना उम्मीदी कुफ्र है मैं जानता हु लेकिन
वो ना आएगा यही उम्मीद मैं छोड़ रहा हूँ
ये सफ़र-ए-ईश्क़ मुकम्मल नहीं हुआ
थक गया हूँ बहुत मैं क़फ़न ओढ़ रहा हूँ
इज़्ज़त ज़िल्लत सब कुछ ख़ुदा के हाथ है
तेरा ये फ़ैसला मैं वहीँ छोड़ रहा हूँ।
                                          (मोहसिन)

©Mohsin Saifi rukh mod raha hu.

#Morning
बहती हुई हवाओँ का रुख मोड़ रहा हूँ
ऐ ज़िन्दगी तेरे पीछे मैं दौड़ रहा हूँ
मेरे साथ रहकर भी कभी मेरा ना हुआ
उसके लिए ही सबको मैं छोड़ रहा हूँ
बरसो जिसे खून से मैं सींचता रहा
उस फूल को खुद ही आज तोड़ रहा हूँ
तमाम उम्र क़ैद रहा जिस मकान में
ऐ ईश्क तेरा पिंजरा मैं तोड़ रहा हूँ
ना उम्मीदी कुफ्र है मैं जानता हु लेकिन
वो ना आएगा यही उम्मीद मैं छोड़ रहा हूँ
ये सफ़र-ए-ईश्क़ मुकम्मल नहीं हुआ
थक गया हूँ बहुत मैं क़फ़न ओढ़ रहा हूँ
इज़्ज़त ज़िल्लत सब कुछ ख़ुदा के हाथ है
तेरा ये फ़ैसला मैं वहीँ छोड़ रहा हूँ।
                                          (मोहसिन)

©Mohsin Saifi rukh mod raha hu.

#Morning

rukh mod raha hu. #Morning #Shayari