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उस अँधेरे के सन्नाटे में कोई पीछा कर रहा था। कृप्

उस अँधेरे के सन्नाटे में कोई पीछा कर रहा था।  कृप्या कैप्शन में पढ़ें 🙏🏻 "आज फिर वो माँ की डांट सुनकर गुस्से में, घर से बाहर निकल आया, आज फिर उसने सोच लिया कि अब कुछ भी हो घर नही जाऊगा.... भला ऐसा कोई करता है? मेरे सभी दोस्तों को आज़ादी है पर मुझे ही नही है.. सब अपनी ज़िंदगी जीते हैं पर.. मैं... मैं क्यों नही अपनी मर्जी से, खुल कर जी सकता हर समय, मम्मी की बंदिशें... घर जल्दी आया करो, रात को जल्दी सोया करो, स्कूल से सीधा घर आओ, ये नही कहना वो नही खाना, यहाँ नही जाना, इससे दोस्ती नही करनी, उससे नही बोलना.... उफ्फ ! कितनी बंदिशें..??
वो अपनी इसी सोच में उलझा चला जा रहा था
उस अँधेरे के सन्नाटे में कोई पीछा कर रहा था।  कृप्या कैप्शन में पढ़ें 🙏🏻 "आज फिर वो माँ की डांट सुनकर गुस्से में, घर से बाहर निकल आया, आज फिर उसने सोच लिया कि अब कुछ भी हो घर नही जाऊगा.... भला ऐसा कोई करता है? मेरे सभी दोस्तों को आज़ादी है पर मुझे ही नही है.. सब अपनी ज़िंदगी जीते हैं पर.. मैं... मैं क्यों नही अपनी मर्जी से, खुल कर जी सकता हर समय, मम्मी की बंदिशें... घर जल्दी आया करो, रात को जल्दी सोया करो, स्कूल से सीधा घर आओ, ये नही कहना वो नही खाना, यहाँ नही जाना, इससे दोस्ती नही करनी, उससे नही बोलना.... उफ्फ ! कितनी बंदिशें..??
वो अपनी इसी सोच में उलझा चला जा रहा था

"आज फिर वो माँ की डांट सुनकर गुस्से में, घर से बाहर निकल आया, आज फिर उसने सोच लिया कि अब कुछ भी हो घर नही जाऊगा.... भला ऐसा कोई करता है? मेरे सभी दोस्तों को आज़ादी है पर मुझे ही नही है.. सब अपनी ज़िंदगी जीते हैं पर.. मैं... मैं क्यों नही अपनी मर्जी से, खुल कर जी सकता हर समय, मम्मी की बंदिशें... घर जल्दी आया करो, रात को जल्दी सोया करो, स्कूल से सीधा घर आओ, ये नही कहना वो नही खाना, यहाँ नही जाना, इससे दोस्ती नही करनी, उससे नही बोलना.... उफ्फ ! कितनी बंदिशें..?? वो अपनी इसी सोच में उलझा चला जा रहा था #MeriKahani #author #kavishala #एहसास #nojotohindi #कलम #kalakaksh #hamariadhurikahani #CTL #कलमसे