पाप और पुण्य कि पटड़ियाें पर दाैड़ती हुयी जिंन्दगी एक रेलगाड़ी है। भाग्य और कर्म है इसके पहिये और वक्त एक कुशल ड्राइवर है। माया -माेह का गार्ड झंण्डी हिलाता है हर र्घम का यात्री इसमें बर्थ पाता है बर्थ पाने के बाद सफर रूपी संसार मे माया -माेह के जाल मे हम रम जाते है। यूं उम्र के स्टेशन पर स्टेशन गुजरते चले जाते है तत्पशचात माैत रूपी मंजिल पर पंहुच कर कर्म रूपी दाैलत के अनुसार सभी यात्री अपने-अपने घर काे जाते है। #yuqote#yuqbaba#yuqdada#yqdidi#yuqtable#yuqhindi