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अपने अपने राम ही नहीं रावण भी हैं हर किसी के अंदर

अपने अपने राम ही नहीं रावण भी हैं
हर किसी के अंदर आलस्य का कुंभकरण भी है
अपनी ही सोच की अंधभक्ति में लीन मेघनाथ 
और एक भटकता हुआ विभीषण भी है
बेशक रीति रिवाजों का हो पालन
लेकिन जरूरी सोच का दर्पण भी है
चयन हो या दहन, हमें ही करना है
"मैं "(स्वयं)को सिर्फ समझना ही नहीं 
"में"(अभिमान) का करना अर्पण भी है
राम बनकर तीर चलाना ही नहीं काफी
जरूरी राम सा समर्पण भी है

©Rakhee ki kalam se रावण_दहन
#story 
#Poetry 
#Life 
#divotion 

#NojotoRamleela  Nidhi Singh कवि संतोष बड़कुर Nitin Kumar Mamta Negi Danish Nawab Khan
अपने अपने राम ही नहीं रावण भी हैं
हर किसी के अंदर आलस्य का कुंभकरण भी है
अपनी ही सोच की अंधभक्ति में लीन मेघनाथ 
और एक भटकता हुआ विभीषण भी है
बेशक रीति रिवाजों का हो पालन
लेकिन जरूरी सोच का दर्पण भी है
चयन हो या दहन, हमें ही करना है
"मैं "(स्वयं)को सिर्फ समझना ही नहीं 
"में"(अभिमान) का करना अर्पण भी है
राम बनकर तीर चलाना ही नहीं काफी
जरूरी राम सा समर्पण भी है

©Rakhee ki kalam se रावण_दहन
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