अपने अपने राम ही नहीं रावण भी हैं हर किसी के अंदर आलस्य का कुंभकरण भी है अपनी ही सोच की अंधभक्ति में लीन मेघनाथ और एक भटकता हुआ विभीषण भी है बेशक रीति रिवाजों का हो पालन लेकिन जरूरी सोच का दर्पण भी है चयन हो या दहन, हमें ही करना है "मैं "(स्वयं)को सिर्फ समझना ही नहीं "में"(अभिमान) का करना अर्पण भी है राम बनकर तीर चलाना ही नहीं काफी जरूरी राम सा समर्पण भी है ©Rakhee ki kalam se रावण_दहन #story #Poetry #Life #divotion #NojotoRamleela कवि संतोष बड़कुर Mamta Negi Danish Nawab Khan