यूँ तो मैं थोड़ा पागल थोड़ा तनहा हु अपनी मस्ती में चूर रंग से थोड़ा गहरा हु फिर भी ठहरा हु उसके आने की आस में बित्ते वक़्त का पहरा हु बी++@+