आरज़ू मे तिरे वापसी के राह के बारहा तकते रहे ग़मे बयारों से बचने को नाम तेरा ख़ुदा की तरहा जपते रहे राह को बारहा तकते रहे दिल के दहलीज़ पर खड़े-खड़े कई ख़्वाहिशें और ज़ज़्बात संग-संग थकते रहे राह को बारहा तकते रहे मुझको माज़ी ही तेरा मेरा थामे रहा जब हवाएं चलीं, सर्द नाउम्मीदों से होठ कपते रहे राह को बारहा तकते रहे एक पहर के गए तेरी आहट मिली अज़नबी सी लगी तेरे हर मोड़ हम सम्हलते रहे राह को बारहा तकते रहे ना तू अपना रहा ना ही सपना रहा फिर भी मेरे ग़ज़ल एक तेरे ज़िक्र से ही संवरते रहे राह को बारहा तकते रहे #HopeMessage Rah ko barha takte rahe