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अब सिर्फ तुम बस्ती हो ईन आँखो मे,,, मेरे चाहत मेरे

अब सिर्फ तुम बस्ती हो
ईन आँखो मे,,,
मेरे चाहत मेरे खाब 
सिर्फ तुम हो,,,
बस तुम हि तुम हो,,,
इरादा नही ईन आँखो का,,,
तेरे सिवा देखे किसी ओर को,,, 
सुबह तुम हो इन आँखो का,,,
ओर.साम भी सिर्फ तुम हो,,,
नजरे ओर नजारे तो 
युही बदल जाएगे दुनिया कि,,,
जब तुम आँखो से होकर
दिल मे उतर जावगी,,,
सिर्फ तुम,,,
जब मेरी हो जावगी,,,
सिर्फ तुम,,,
अब सिर्फ तुम बस्ती हो
ईन आँखो मे,,,
मेरे चाहत मेरे खाब 
सिर्फ तुम हो,,,
बस तुम हि तुम हो,,,
इरादा नही ईन आँखो का,,,
तेरे सिवा देखे किसी ओर को,,, 
सुबह तुम हो इन आँखो का,,,
ओर.साम भी सिर्फ तुम हो,,,
नजरे ओर नजारे तो 
युही बदल जाएगे दुनिया कि,,,
जब तुम आँखो से होकर
दिल मे उतर जावगी,,,
सिर्फ तुम,,,
जब मेरी हो जावगी,,,
सिर्फ तुम,,,