वो सफर शुरू कुछ इस तरह शुरू हुआ था, ना मुझे इश्क़ था,ना तुझको कुछ हुआ था, फिर भी इस मझदार पर यू सवार हो गए हम दो, ख़्वाहिशों को संजोय हुए यू एक हो गए हम दो, वो समय कुछ खास था तुझसे हर आस था, तेरी आरज़ू के ताले मेरी खुशियो का आगाज़ था, मिलते थे हम यू छुप छुप कर हर रोज़, बातें ना हो फिर भी ना था कोई अफ़सोस, सिपारिश नही थी कि मोहब्बत की आस हो, दूर दूर होकर भी तेरा सब कुछ मेरे पास था, तेरा ना होना भी एक खूबसूरत अहसास था।। फिर एक दिन तेरे आशिक़ की घड़ी आयी, सब कुछ जीत के भी वो हारा एक रात था, जिस रात की सुबह का दूर दूर तक ना कोई आस था, सफर में ज़िन्दगी के उसके एक लंबा सा तूफान आया था, जो कुछ भी था उसका सब साथ अपने डुबाया था, हिम्मत ना हारी उसने लडख़ड़ाते कदमो से फिर टूट गया वो तेरे ना होने से, खुद भी ना समझ पाया कि उसका कुसूर क्या था, तू दूर हूक भी उससे दूर क्यों न था, शायद ज़िन्दगी ख़फ़ा थी कि मौत भी ना मिली उसको, जितनी गलती ना कि उससे ज्यादा दर्द मिला था, तकिये को पकड़कर हर रोज़ रोता था, खत्म हो जाएगी कि कहानी ये भी खुशियो से एक दिन, इसी उम्मीद में वो हर रोज़ उठता था।। #longform #love #sanchal #munasif_e_mirza #munasiflove #yqdidi #रातकाअफ़साना #nightthoughts