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उस पार, उस पार उगता सूरज, इस ओर अंधेरा घना है, भ्

उस पार,

उस पार उगता सूरज,
इस ओर अंधेरा घना है,
भ्रम शायद सोच का,
मन में अंधेरा बना है,
फ़िर कहीं धूप की कली,
छाव में बस पेड़ के रहना है,
उस ओर दौड़े ये दिल,
जाने कितने पहाड़ों का दीदार होना हैं,
फ़िर धीरे से थक हार बैठ गया,
एक एक कर पहाड़ो को गिनता गया,
कदम दर कदम बढ़ता गया,
वोह राह को बस रास्ता बनाता गया,
उस पार ,
कही कुछ था पाना,
फ़िर बीते सपने को जीना,
कही सफर की भीड़ में,
सफ़र से घर तक,
जो याद है आज बीते पल,
यूं पलो को बस याद करना,
उस पार ,
हां उस पार है जाना #पार
उस पार,

उस पार उगता सूरज,
इस ओर अंधेरा घना है,
भ्रम शायद सोच का,
मन में अंधेरा बना है,
फ़िर कहीं धूप की कली,
छाव में बस पेड़ के रहना है,
उस ओर दौड़े ये दिल,
जाने कितने पहाड़ों का दीदार होना हैं,
फ़िर धीरे से थक हार बैठ गया,
एक एक कर पहाड़ो को गिनता गया,
कदम दर कदम बढ़ता गया,
वोह राह को बस रास्ता बनाता गया,
उस पार ,
कही कुछ था पाना,
फ़िर बीते सपने को जीना,
कही सफर की भीड़ में,
सफ़र से घर तक,
जो याद है आज बीते पल,
यूं पलो को बस याद करना,
उस पार ,
हां उस पार है जाना #पार