तेरी हर बात मोहब्बत में गवारा करके , दिल के बाज़ार में बैठे है खसारा करके , मुंतजिर हूँ कि सितारों की जरा आँख लगे , चाँद को छत पर बुला लूँगा इशारा करके , आसमानों की तरफ फेंक दिया है मैंने , चंद मिट्टी के चिरागों को सितारा करके , मैं वो दरिया हूँ कि हर बूँद भँवर है जिसकी , तुमने अच्छा ही किया मुझसे किनारा करके . (गवारा - स्वीकार करने योग्य खसारा - हानि मुंतजिर - इंतज़ार करने वाला ) तेरी हर बात मोहब्बत में गवारा करके..... #शिवांश #मोहब्बत #प्यार #इश्क़