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"समझ सकते हैं जब हम ख़ामोशी को भी, तो समझते क्यों

"समझ सकते हैं जब हम 
ख़ामोशी को भी,
तो समझते क्यों नहीं 
लफ्ज़ जो आवाज़ है।"

{काया} से

©Devrajsolanki #devrajsolanki
"समझ सकते हैं जब हम 
ख़ामोशी को भी,
तो समझते क्यों नहीं 
लफ्ज़ जो आवाज़ है।"

{काया} से

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