क्या बताऊँ मेरी हवा से आजकल क्यों बनती नहीं है मुझे गिला है ये तुझसे दूर हटकर क्यों चलती नहीं है जलन इस बात की है क्यों बेचैनी बेहिसाब करता है ये सूरज सुबह आकर क्यों तेरी नींदें ख़राब करता है उसके लुका-छुपी के खेल में मुझे बहुत गुस्सा आता है तुझे अकेला छोड़कर चांद पता नहीं कहाँ मर जाता है सुनो फूलों ये क्या बात हुयी, समझाते क्यों नहीं हैं तुम्हारे भँवरे, उसे छेड़ने से बाज आते क्यों नहीं हैं उन्हें जितना ज़रूरत हो बस उतना ही भिगाया करो ख़बरदार बारिशों, इक दम वक़्त पर ही आया करो उसे शिकायत है के मौसम पल में बदल जाते हैं ऐ ख़ुदा आप भी क्या मौसम सस्ते वाले लाते हैं ©technocrat_sanam 😀😃😆😅 #नादान_मुहब्बत क्या बताऊँ मेरी हवा से आजकल क्यों बनती नहीं है? मुझे गिला है ये तुझसे दूर हटकर क्यों चलती नहीं है? जलन इस बात की है क्यों बेचैनी बेहिसाब करता है? ये सूरज सुबह आकर क्यों तेरी नींदें ख़राब करता है?