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रात की तन्हाई में.. खामोश दिखा चांद बहते सर्द हवाओ

रात की तन्हाई में..
खामोश दिखा चांद
बहते सर्द हवाओं में...
बादलों मेंं छुपा रहा चांद
सूना था नज़ारा
मद्धिम सी फैली चांदनी
बेब़ाक इश्क़ में..
तन्हा तड़प रहा वो चांद...
चांदनी निखरेंगी हर लम्हा
रोशन होगा फिर भी जहाँ..
ख्वाबों के इंतजार में
रातभर वफ़ा ढूंढें वो चांद...
ख्वाहिशों की राह में..
आंखों से उझल भी होता चांद..

कि नंदिता रातभर देखती रही बस चांद...!!

#मेरी रुह@
#नंदिता@ #चांद#

रात की तन्हाई में..
खामोश दिखा चांद
बहते सर्द हवाओं में...
बादलों मेंं छुपा रहा चांद
सूना था नज़ारा
मद्धिम सी फैली चांदनी
रात की तन्हाई में..
खामोश दिखा चांद
बहते सर्द हवाओं में...
बादलों मेंं छुपा रहा चांद
सूना था नज़ारा
मद्धिम सी फैली चांदनी
बेब़ाक इश्क़ में..
तन्हा तड़प रहा वो चांद...
चांदनी निखरेंगी हर लम्हा
रोशन होगा फिर भी जहाँ..
ख्वाबों के इंतजार में
रातभर वफ़ा ढूंढें वो चांद...
ख्वाहिशों की राह में..
आंखों से उझल भी होता चांद..

कि नंदिता रातभर देखती रही बस चांद...!!

#मेरी रुह@
#नंदिता@ #चांद#

रात की तन्हाई में..
खामोश दिखा चांद
बहते सर्द हवाओं में...
बादलों मेंं छुपा रहा चांद
सूना था नज़ारा
मद्धिम सी फैली चांदनी