अधरो पर बंसी सजे, सजे मोर पंख से भाल रास रचाए वृदावन में, जिसके संग घूमे ग्वाल चढ़कर कदंब की डाली जब वो छेड़े मीठी तान मंत्र मुग्ध हो जाते सब पशु पक्षी और भगवान अपनी नटखट बातों से जो सबके मन को मोहे माखन मिश्री और पूरी बड़ी उसके मन को मोहे जिसकी रोज उलहनाये सुन यशोमती घबराएं पकड़कर जिसको ओखली में वो बांध के आए फिर भी बान ना छूटे बड़ा नटखट हैं वो ग्वाल गोकुल में हैं घर उसका सब कहें उसे नंदलाल अपनी मीठी मुस्कान से जो सबका मन लुभाए करके माखन चोरी और साफ़ निकल वो आए राधा के संग रास करें हैं गोपियां जिसपे निहाल बड़ा ही सहज सांवरो सुंदर हैं मेरा कृष्ण गोपाल ©Ankur tiwari #janmashtami अधरो पर बंसी सजे,सजे मोर पंख से भाल रास रचाए वृदावन में, जिसके संग घूमे ग्वाल चढ़कर कदंब की डाली जब वो छेड़े मीठी तान मंत्र मुग्ध हो जाते सब पशु पक्षी और भगवान अपनी नटखट बातों से जो सबके मन को मोहे माखन मिश्री और पूरी बड़ी उसके मन को मोहे जिसकी रोज उलहनाये सुन यशोमती घबराएं