वो खुला आसमान वो तारो की चादर वो खटिया की नींद वो ठंडी हवा वो मिट्टी की सोनधी मेहक वो पीपल की छाव वो नीम की दतुन् वो मंदिर का चबूतरा वो ओखली की धम धम वो आमचूर की खटास वो अंगने की गौरैया वो गुड़िया के बाल वो बच्चो की उधम वो चुहले की रोटी.. बस ख्वाब हो गए जबसे गांव शहर हो गए.. _प्रिया राजपूत #गाँवशहर हो गए..😟😒...#writobliss🖋️🐧