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भगति भजन हरि नाव है, दूजा दुक्ख अपार मनसा वाचा कर्

भगति भजन हरि नाव है, दूजा दुक्ख अपार
मनसा वाचा कर्मणा, कबीर सुमिरण सार !

झूठे सुख को सुख कहै, मानत है मन मोद
जगत चबैना काल का,कछु मुख में कछु गोद !

इहि औसर चेत्या नहीं,पसु ज्यूँ पाली देह
राम नाम जाना नहीं, अन्ति पड़ी मुख शेह ! 🐇💞💕💕🐇☕☕☕😍💞🐇💕good morning ji💞🐇💕💕☕💞🐇💕#आदिकाल के बाद☕#वि. स. 800 से 1400 के बाद☕
सन 743 ई. से 1343 ई. के वाद 💕का 🐇💞💞#भारतीय 💕#परिवेश💕🐇💞💞
:विक्रम सम्बत 1400 से 1700 तक
सन 1343 से 1643 तक 
:
भक्ति काल का अगर ठीक ठीक अध्ययन किया जाए तो समझ आएगा कि ये नवीन पन्थ और धार्मिक आस्थाएं कैसे पनपी ।
:
निर्गुण भक्ति काव्य - ज्ञानमार्गी कबीर ,नानक, दादू, रैदास,मलूकदास, धर्मदास, सुन्दरदास, गरीबदास, आदि के साहित्य को समझ कर उलझनों को सुलझा सकते हैं !
भगति भजन हरि नाव है, दूजा दुक्ख अपार
मनसा वाचा कर्मणा, कबीर सुमिरण सार !

झूठे सुख को सुख कहै, मानत है मन मोद
जगत चबैना काल का,कछु मुख में कछु गोद !

इहि औसर चेत्या नहीं,पसु ज्यूँ पाली देह
राम नाम जाना नहीं, अन्ति पड़ी मुख शेह ! 🐇💞💕💕🐇☕☕☕😍💞🐇💕good morning ji💞🐇💕💕☕💞🐇💕#आदिकाल के बाद☕#वि. स. 800 से 1400 के बाद☕
सन 743 ई. से 1343 ई. के वाद 💕का 🐇💞💞#भारतीय 💕#परिवेश💕🐇💞💞
:विक्रम सम्बत 1400 से 1700 तक
सन 1343 से 1643 तक 
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भक्ति काल का अगर ठीक ठीक अध्ययन किया जाए तो समझ आएगा कि ये नवीन पन्थ और धार्मिक आस्थाएं कैसे पनपी ।
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निर्गुण भक्ति काव्य - ज्ञानमार्गी कबीर ,नानक, दादू, रैदास,मलूकदास, धर्मदास, सुन्दरदास, गरीबदास, आदि के साहित्य को समझ कर उलझनों को सुलझा सकते हैं !