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जिंदगी जैसे पहाड़ बनीं थीं मेरी, मुझे पत्थर फेंकते

जिंदगी जैसे पहाड़ बनीं थीं मेरी,
मुझे पत्थर फेंकते हुए देर हो गयी।
जिंदगी जैसे  खयाल बनी थीं मेरी,
मुझे नींद से जगने में देर हो गयी। #udaasi
जिंदगी जैसे पहाड़ बनीं थीं मेरी,
मुझे पत्थर फेंकते हुए देर हो गयी।
जिंदगी जैसे  खयाल बनी थीं मेरी,
मुझे नींद से जगने में देर हो गयी। #udaasi