सावन की ना पेहले सी बरसात रही अब जाग के गुजारी न वो रात रही अब भले ही आसान बहोत हो चुकी है ज़िन्दगी मगर पेलहे जैसी ज़िन्दगी में कहां वो बात रही अब ©vikaaj gill मैंने सही कहा यान.....? #Drops