लिखूँ कुछ भी भला कैसे,नहीं अब भाव मिलता है। मुझे तो हर समय केवल, नया ही घाव मिलता है। न जाने जिंदगी को अब, हुई मुझसे शिकायत क्या- फँसे मझधार में जो भी,वही बस नाव मिलता है। #मुक्तक #भावनाओं_की_स्याही #विश्वासी