अस्मिता की राजनीति का चुनावी असर शीर्षक से प्रकाशित बद्रीनारायण के आलेख में विभिन्न प्रकार की आशंकाओं पर उपस्थित नेताओं का उल्लेख किया गया है लेकिन लेखक के अवलोकन का यह पहलू विशेष रूप से उल्लेखनीय है कि आज समानता दुधारी तलवार की तरह है एक तो तबके को नंबर बंद करती है किंतु तमाम अन्य वर्ग को उन से बिलोंग करती है भारत जैसे विविधता भरे रास्ते में जहां भौगोलिक धार्मिक सांस्कृतिक और जातीय संहिता तमाम किस्म की विविधता है वह विभिन्न प्रकार की आशंकाओं की उपस्थिति का होना भी बहुत स्वाभाविक है कुछ हद तक ठीक भी है लेकिन जब मैं टकराव का रूप ले लेती है घातक सिद्ध होने लगती है ऐसे में बेहतर ही होगा कि तमाम अस्मिता और उपर से नेताओं के स्थान पर भारतीय राष्ट्रीय की वृद्धि और व्यापक स्वरूप वाली अस्मिता प्रभाव होनी चाहिए इसी आशाओं को सभी प्रकार की आशंकाओं पर वैरायटी मिलनी चाहिए यह संभावना समृद्धि सुनिश्चित करने का आधार बन की क्षमता रखती है ©Ek villain #सबसे बड़ी अस्मिता हो भारतीयता #selflove