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ज़िक्र तेरा हर बार होता है मेरे ख़्यालों में। तू जबा

ज़िक्र तेरा हर बार होता है मेरे ख़्यालों में।
तू जबाब की तरह बसा रहता है मेरे सवालों में।
कौन जाने कौन है तू सिर्फ ख़्याल या हक़ीकत।
उलझी रहती हूँ मैं अक्सर, इन्हीं सवालों में। 🌝प्रतियोगिता- 200🌝

 ✨✨आज की रचना के लिए हमारा शब्द है ⤵️

🌹"ख़्याल"🌹

🌟 विषय के शब्द रचना में होना अनिवार्य नहीं है I कृप्या 
केवल मर्यादित शब्दों का प्रयोग कर अपनी रचना को उत्कृष्ट बनाएं I
ज़िक्र तेरा हर बार होता है मेरे ख़्यालों में।
तू जबाब की तरह बसा रहता है मेरे सवालों में।
कौन जाने कौन है तू सिर्फ ख़्याल या हक़ीकत।
उलझी रहती हूँ मैं अक्सर, इन्हीं सवालों में। 🌝प्रतियोगिता- 200🌝

 ✨✨आज की रचना के लिए हमारा शब्द है ⤵️

🌹"ख़्याल"🌹

🌟 विषय के शब्द रचना में होना अनिवार्य नहीं है I कृप्या 
केवल मर्यादित शब्दों का प्रयोग कर अपनी रचना को उत्कृष्ट बनाएं I