तुम्हारे साथ आजकल, यूँ हर जगह रहता हूँ मैं हद से ज्यादा सोचू तुम्हें, बस यहीं सोचता हूँ मैं पता नहीं हमारे दरमियान, यह कौनसा रिश्ता है लगता है के सालों पुराना, अधूरा कोई किस्सा है तुम्हारी तस्वीरों में मुझे, अपना साया दिखता है महसूस करता है जो यह मन, वहीं तो लिखता है तुम्हारी आवाज़ सुनने को, हर पल बेक़रार रहता हूँ नहीं करूँगा याद तुम्हें मैं, खुद से हर बार कहता हूँ नाराज़ ना होना कभी, बस यहीं एक गुज़ारिश है महकी हुई इन साँसों की, साँसों से सिफ़ारिश है बदल जाएं चाहे सारा जग, पर ना बदलना तुम कभी ख़्वाबों के खुशनुमा शहर में, मिलने आना तुम कभी । ©Ankur Mishra #हम_और_तुम तुम्हारे साथ आजकल, यूँ हर जगह रहता हूँ मैं हद से ज्यादा सोचू तुम्हें, बस यहीं सोचता हूँ मैं पता नहीं हमारे दरमियान, यह कौनसा रिश्ता है लगता है के सालों पुराना, अधूरा कोई किस्सा है