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घाटों पर वह आती कम है, थोड़ा वह बतयाती कम है प

घाटों  पर वह आती कम है,  थोड़ा  वह बतयाती कम है

प्रेम  नगर है  घाट  निराला,  जाने  कितनी  प्रेम  कहानी
कोई तो छुप छुप कर मिलता, कुछ करते थोड़ी नादानी
प्रेम सरल है पावन जल सा, या जटिल घना कोई तम है
घाटों  पर  वह आती  कम है, थोड़ा वह बतयाती कम है

धीरे  धीरे  सब  मिलते  है,  मां  गंगा  के  घाट  किनारे
कॉलेजों  के  बाद  मिले  है,  पढ़ने  लिखने  वाले  सारे
आ  जाते  है  मिलने वाले, गुरुकुल की सीमाएं कम है
घाटों पर वह आती कम है, थोड़ा वह बतयाती कम है

उसको  पहली  बार मिला  था, मैं भी गंगा घाट किनारे
मैं  बैठा  पहली  पैड़ी  पर,   वो   दूजी  से  नाम  पुकारे
जाने  कितनी  बाते  बोली, थोड़ा  वह  शरमाती कम है
घाटों पर वह आती कम है,  थोड़ा  वह बतयाती कम है

उसको भी अब प्रेम हुआ था, लेकिन आना कम कर डाला
बाते  भी  अब कम ही करती, जाने किसने क्या कह डाला
अब मिलकर बस देखा करती, अधरो से मुस्काती कम है
घाटों  पर  वह  आती  कम है,  थोड़ा  वह बतयाती कम है



¢ डा• रामवीर गंगवार





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©Ramveer Gangwar #ramveergangwar

#Ocean
घाटों  पर वह आती कम है,  थोड़ा  वह बतयाती कम है

प्रेम  नगर है  घाट  निराला,  जाने  कितनी  प्रेम  कहानी
कोई तो छुप छुप कर मिलता, कुछ करते थोड़ी नादानी
प्रेम सरल है पावन जल सा, या जटिल घना कोई तम है
घाटों  पर  वह आती  कम है, थोड़ा वह बतयाती कम है

धीरे  धीरे  सब  मिलते  है,  मां  गंगा  के  घाट  किनारे
कॉलेजों  के  बाद  मिले  है,  पढ़ने  लिखने  वाले  सारे
आ  जाते  है  मिलने वाले, गुरुकुल की सीमाएं कम है
घाटों पर वह आती कम है, थोड़ा वह बतयाती कम है

उसको  पहली  बार मिला  था, मैं भी गंगा घाट किनारे
मैं  बैठा  पहली  पैड़ी  पर,   वो   दूजी  से  नाम  पुकारे
जाने  कितनी  बाते  बोली, थोड़ा  वह  शरमाती कम है
घाटों पर वह आती कम है,  थोड़ा  वह बतयाती कम है

उसको भी अब प्रेम हुआ था, लेकिन आना कम कर डाला
बाते  भी  अब कम ही करती, जाने किसने क्या कह डाला
अब मिलकर बस देखा करती, अधरो से मुस्काती कम है
घाटों  पर  वह  आती  कम है,  थोड़ा  वह बतयाती कम है



¢ डा• रामवीर गंगवार





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©Ramveer Gangwar #ramveergangwar

#Ocean