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मुस्कुराहट में तो सब ढलते हैं दुनिया में पर मैं क

मुस्कुराहट में तो सब ढलते हैं दुनिया में
 पर मैं किसी के आंसू ढलना चाहूं।

यहां सब के दिल में चाहत है फूलों की 
पर मैं रास्ते के कांटों पे चलना चाहूं।

जमाने के साथ तो मिलते हैं ज़ख्म बस
 मैं बचपना करके खुद-ब-खुद में बहलना चाहूं।

मुझे दाग दिए जाते हैं उसी रास्ते पे ज्यादा 
मैं जिस रास्ते से बेदाग निकलना चाहूं।

©नितीश निसार #बदनामी
मुस्कुराहट में तो सब ढलते हैं दुनिया में
 पर मैं किसी के आंसू ढलना चाहूं।

यहां सब के दिल में चाहत है फूलों की 
पर मैं रास्ते के कांटों पे चलना चाहूं।

जमाने के साथ तो मिलते हैं ज़ख्म बस
 मैं बचपना करके खुद-ब-खुद में बहलना चाहूं।

मुझे दाग दिए जाते हैं उसी रास्ते पे ज्यादा 
मैं जिस रास्ते से बेदाग निकलना चाहूं।

©नितीश निसार #बदनामी
nitishnisar7717

NITISH NISAR

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