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मुश्क़िल हो गया ~°~°~°~°~°~°~°~ गाँव-शहर बनें श्मश

मुश्क़िल हो गया
~°~°~°~°~°~°~°~

गाँव-शहर बनें श्मशान-क़ब्रिस्तान, बचना मुश्क़िल हो गया,
अपने अपनों से बिछड़कर कुछ भी, कहना मुश्क़िल हो गया।

ये सारे जख़्म बड़े गहरे हैं अब तो, सिलना मुश्क़िल हो गया,
आँखो में दबा जो सैलाब है उसका, थमना मुश्क़िल हो गया।

हर तरफ़ शवों पर शवों का भार है, थामना मुश्क़िल हो गया,
विपत्ति पर विपत्ति की मार अपार है, सहना मुश्क़िल हो गया।

पतझड़ में ख़ुशियों का पता फ़िर से, मिलना मुश्क़िल हो गया,
हद हो गई हर घड़ी मातम के ग़म में, रहना मुश्क़िल हो गया।

घूसख़ोरी-मुनाफ़ाख़ोरी में मानवता, पलना मुश्क़िल हो गया,
नेतागिरी के लालचवश संविधान, समझना मुश्क़िल हो गया।

खोकर उस अपने को अब तो  "हृदय"  संभलना मुश्क़िल हो गया,
आब-ए-चश्म बनें ख़ून मन की बातें मन में, रखना मुश्क़िल हो गया।
-रेखा "मंजुलाहृदय"

©Rekha💕Sharma "मंजुलाहृदय" "हृदय" बहुत दुखित है, अब अल्पविराम चाहिए...

तब तक आप सभी अपना और अपनों का विशेष ध्यान रखें!

जय राम जी की!


#warrior #corona #मंजुलाहृदय  #Rekhasharma #May 2nd, 2021
मुश्क़िल हो गया
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गाँव-शहर बनें श्मशान-क़ब्रिस्तान, बचना मुश्क़िल हो गया,
अपने अपनों से बिछड़कर कुछ भी, कहना मुश्क़िल हो गया।

ये सारे जख़्म बड़े गहरे हैं अब तो, सिलना मुश्क़िल हो गया,
आँखो में दबा जो सैलाब है उसका, थमना मुश्क़िल हो गया।

हर तरफ़ शवों पर शवों का भार है, थामना मुश्क़िल हो गया,
विपत्ति पर विपत्ति की मार अपार है, सहना मुश्क़िल हो गया।

पतझड़ में ख़ुशियों का पता फ़िर से, मिलना मुश्क़िल हो गया,
हद हो गई हर घड़ी मातम के ग़म में, रहना मुश्क़िल हो गया।

घूसख़ोरी-मुनाफ़ाख़ोरी में मानवता, पलना मुश्क़िल हो गया,
नेतागिरी के लालचवश संविधान, समझना मुश्क़िल हो गया।

खोकर उस अपने को अब तो  "हृदय"  संभलना मुश्क़िल हो गया,
आब-ए-चश्म बनें ख़ून मन की बातें मन में, रखना मुश्क़िल हो गया।
-रेखा "मंजुलाहृदय"

©Rekha💕Sharma "मंजुलाहृदय" "हृदय" बहुत दुखित है, अब अल्पविराम चाहिए...

तब तक आप सभी अपना और अपनों का विशेष ध्यान रखें!

जय राम जी की!


#warrior #corona #मंजुलाहृदय  #Rekhasharma #May 2nd, 2021