हम उनसे दिल ही दिल में बेइंतेहा इश्क़ करते रहे, वो हरपल हमसे ही इश्क में लुका-छिपी करते रहे। हम हमेशा उनसे बात करने के बहाने ढूंढते रह गए, वो अपना हाल-ए-दिल किसी और से बयां करते रहे। हम सोचते रहे समझ लेंगे वह हमारी खामोशी की भाषा, वो हमारे इश्क़ को दोस्ती समझकर हमसे बात करते रहे। ♥️ Challenge-488 #collabwithकोराकाग़ज़ ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें :) ♥️ इस विषय को अपने शब्दों से सजाइए। ♥️ रचना लिखने के बाद इस पोस्ट पर Done काॅमेंट करें।