वे झूठ कहते रहे करते रहे साजिशें मैं मुस्कुराता रहा जब वे थे इस मुगालते में कि अफवाहों के जरिये साजिशों को करेंगे सफल मैं तब भी मुस्कुरा रहा था हां तब भी मैं लिख रहा था जब कोई वजह नहीं थी मुस्कुराने की तब भी मैं कविता पढ़ रहा था.. ©sanjeev #sanjeev