ऐसा वक़्त लेकर आऊंगा, जिस वक्त में सबके लिए वक़्त हों, जिस माँ ने देखे है कुछ अन्होंने सपने, वो सब सपने पूरे करके दिखाऊंगा, जिस सहारे हुआ में बड़ा, सीच- सीच लोहू उसका, उसके लिए अपने लहू का, कतरा-कतरा बहाऊंगा, लेकिन सब उसके सपने पूरे करके दिखाऊंगा, अब वक्त है मेरा , मैं उसके, बुढापे का सहारा बनके दिखाऊंगा, उसके आस हर सपने को , साकार कर जाऊंगा, ऐसा वक़्त लेकर आऊंगा, जिस वक्त में उन्हें मेरे अलावा , किसी ओर की चाह न हों, इतना प्यार लुटाऊंगा मैं अपने दादी के लिए कुछ भी कर जाऊंगा मैं अपने दादी के लिए कुछ भी कर जाऊंगा