Unsplash पगडंडी नुमा ज़िन्दगी में संभल संभल के कदम बढ़ाना है, तय करनी है राह खुद ही आखिर हमें कहाँ तलक जाना है..! खुद से खुद की पहचान करा हौंसला मन में जगाना है, राह संकरी हो या हो पथरीली न हमें डगमगाना है..! नहीं रहना किसी और पर निर्भर रास्ता खुद का खुद ही बनाना है, मेहनत लगन से जीवन को खुशहाल अपने बनाना है..! बेरंग ज़िन्दगी की तस्वीर को बेहतरीन रंगों से सजाना है, गम की महफ़िल में भी खुशियों का ढूँढ़ना खज़ाना है..! खड़ी हर राह पर मौत बाहें फैलाये न इससे भी घबराना है, मौत को भी डर लगे ज़िन्दगी से कुछ ऐसा इसे डराना है..! वीरता का प्रमाण बन श्री गुरु गोविन्द सा चिडियों संग बाज़ लड़ाना है, विपदाओं के सागर को पार कर तरक्की की ओर कदम बढ़ाना है..! ऐसा करना काम है कि दुनियां में जगमगाना है, गम को हँसाना है और दुखो को भगाना है..! ©SHIVA KANT(Shayar) #Book #pagdandinumazindagi