My Bicycle जिंदगी साईकिल की जैसे हैं सवारी हम वक्रत है संभलने की बेकरारी, आगे देख और मार तू पैदल पे पैदल, देखना है नीचे है गिरने की तैयारी, गर तू चाहे पूरे हो सब तेरे सपने, एक घंटी भी लगा हैंडल पे अपने, घंटी बजा सबको बता मैं आ रहा हूं, तुम बचो मैं बचता बचता जा रहा हूं हट जाओ रास्ते से मेरे दुनिया वालो, रफ़्तार रफ्तार अपनी मंजिल पा रहा हूं, घंटी मारे बिन जो तू निकले गा ढिकरा, पाये गा साइकिल को तू रास्ते पे बिखरा, आ भिड़े गा तुझ से कोई शख्स तगड़ा बेवजह का तुझ को लग जाये गा रगड़ा । साईकिल उठा सिटी बजा और गीत गा तू, अपनी जानेमन को भी संग ले के जा तू, मस्ती में जीवन की साइकिल को चला तू, साइकिल में लाज़िम है तेरे बुरेक होना वरना पड़ सकता है तुझ को खुद को खोना, सामने आती हो भारी गर सवारी, तूने साईकिल गलती से उस में दे मारी, आखिरी तेरी खता हो सकती हैं वो, बेवजह खुशियों को अपनी खोना काई को, समझ तू जीवन भी है साईकिल चलाना, आती जाती सांस के पैदल घुमाना, चलते रहना हो तो बस चलते ही जाना, रुकना हो तो जबत की बुरेक दबाना, जिंदगी है वक्त की साइकिल सवारी, मौत क्या...? साइकिल से आगे गुज़र जाना । ©maher singaniya साईकिल #WorldBicycleDay2021