ये बादल भी अपने रंग दिखाते है हमेशा गरीब किसानो को रुलाते है जब ज़रूरत रहे तब नही आते है बिन मौसम खुद-ब-खुद चले आते है मरे गरीब किसान अमीर मौज उड़ाते है ये मौसम भी न जाने कितने रंग दिखाते है