संगमरमर से तेरे जिस्म का दिवाना हूं होठों की लाली पर बैठने वाला परवाना हूं हुस्न की दिवानगी भी इंसान को कर देती घायल तेरे जुल्फों में बसा एक ताना बाना हूं संगमरमर से तेरे जिस्म का दिवाना हूं ©Jitendra Singh #जितेन्द्रसिंहविकल