आस्था होने लगी अंधी है मंदिर में मनुष्यों की मंदी है, कलयुग ने कदम रखा है, नीयत निहायती गंदी है, वासना करती है इस वीराने मे अब वास बस, पानी ही नहीं रही पर्याप्त प्यास बस, भूख है की भरती नहीं भ्रष्टाचार की कर्म को किनारे करके कायम है अब कयास बस, वकील वसीयत से विलुप्त कर देते है विरासत, स्वर्ग के सपने सजा कर संवरती है सियासत, ठगों को भी ठगा जा रहा है, हद है हसरत की, कि हार गई हर हिरासत ।। #kalyug #badtimes #yqbaba #humanitydied #human #random #hindipoetry #yqdidi