मैं जुगनू अंधियारे वन का! थोड़़ा तो उजाला करने दो! मैं चमक सका जो गहन निशा तक, थोड़ा सा तो जलने दो, मैं तमस चीरता इस जग का, मुझे चंचलता भरने दो, इस रात अंधेरी घोर घटा का, एक हमराही तो बनने दो, मैं दग्द हृदय के सरस भाव अंतर्मन में तो उतरने दो, मैं बिखराऊंगा अनुपम ज्योति इस भव्य भाव को पलने दो! मैं अंधियारे का जुगनू, मुझे अविरल सा तुम बहने दो! मैं अमावसी का चंद्रकुंवर मुझे बड़ा नया कुछ करने दो! ©सौरभ कुमार "गाँगुली" #जुगनू