कभी कलियां भी खिल जाती थी जिनके मुस्कुराने में, लुटा सबकुछ दिया मैंने जिन्हें अपना बनाने में। नहीं कोई फ़िकर उनको नहीं कोई शिकन उन पर, लगे हैं वो कहीं अपना नया रिश्ता बनाने में।। बदलते वक़्त का मंज़र है हर कोई बदलता है, कभी गिरता है कोई तो कोई गिरकर सम्हलता है। नहीं हैरान हूँ मैं तेरे इस तरह बदलने से, जो देखे एक गिरगिट दूसरे को रंग बदलता है।। लगेगा वक़्त थोड़ा सा मेरे दिल को सम्भलने में, पुनः हालात को जैसे थे वैसा ही बदलने में। मग़र मेरी वफ़ाएँ तुमको जब भी याद आएगी, गुज़र जाएगी सारी रात तब करवट बदलने में।। #नयारिश्ता