उजाड़ कर मेरा आशियाना तुम क्या बिगाड़ लोगे हिम्मत करूँगा फिर से एक बार तिनका-तिनका चुन लाऊँगा तुम चाहे कितना भी तोड़ दो मुझे ए खुदगर्ज इंसान मैं हर बार प्रयास करूँगा -राणा हम पंछी उन्मुक्त