बंधुत्व ही मेरा दर्शन होगा। अलौकिक आकर्षण होगा। मतांतर भी स्नेह जहां हो, वहां भला क्या घर्षण होगा। ©Narendra Sonkar "बंधुत्व ही मेरा दर्शन होगा"