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इक़्तिज़ा-ए-इख्लास (प्यार की चाह) को इज़्हार करना

इक़्तिज़ा-ए-इख्लास
(प्यार की चाह)
को इज़्हार करना चाहता हूं
(इज़्हार = बताना)
और इजाज़त नहीं जब तक तुम्हारी
मैं इत्मीनान से इन्तज़ार करना चाहता हूं

और गर करो इन्तिख़ाब 
(इन्तिख़ाब = स्वीकार)
मेरे इज़्हार को

तो मैं आज के आज
निकाह का इन्तिज़ाम
करना चाहता हूं

©Sajan #इजहार_ए_मोहब्बत
इक़्तिज़ा-ए-इख्लास
(प्यार की चाह)
को इज़्हार करना चाहता हूं
(इज़्हार = बताना)
और इजाज़त नहीं जब तक तुम्हारी
मैं इत्मीनान से इन्तज़ार करना चाहता हूं

और गर करो इन्तिख़ाब 
(इन्तिख़ाब = स्वीकार)
मेरे इज़्हार को

तो मैं आज के आज
निकाह का इन्तिज़ाम
करना चाहता हूं

©Sajan #इजहार_ए_मोहब्बत