इक़्तिज़ा-ए-इख्लास (प्यार की चाह) को इज़्हार करना चाहता हूं (इज़्हार = बताना) और इजाज़त नहीं जब तक तुम्हारी मैं इत्मीनान से इन्तज़ार करना चाहता हूं और गर करो इन्तिख़ाब (इन्तिख़ाब = स्वीकार) मेरे इज़्हार को तो मैं आज के आज निकाह का इन्तिज़ाम करना चाहता हूं ©Sajan #इजहार_ए_मोहब्बत