यहां हर एक के भीतर एक कहानी है.. कहीं जीद तो कहीं मनमानी है.. सबने अपनी ही हठ पाली है.. ना कहीं प्यार ना तो कहीं इजहार है.. दिखावे पे सबने की सवारी है.. मानों खुद में ही होशियारी है.. हर किरदार कई किरदारो का मालिक है.. बस आंखें ही सच्चाई हैं.. जिसने अपनी नीयत बचाई है.. सूनों जरा...सबसे ऊपर तो सच्चाई है.. तुम्हे संभल जाना है.. अब थम भी जाना है.. रुककर किस समय की इंतजारी है..? सिर्फ भीतर की 'प्रीति' को जगानी है.. और ऊंची उड़ान लगानी है... और ऊंची उड़ान लगानी है... ©प्रीति #Priti..