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दिन हो अमा,रात पूर्णिमा, उसपे गहन, सूर्य -चंद्रमा

दिन हो अमा,रात पूर्णिमा,
उसपे गहन, सूर्य -चंद्रमा -
दोनों के दोनों हों ग्रस्त,
इससे अधिक न पल हैं त्रस्त,
इतिहास सबपे किये टीका,
आंकेगा क्या है वो टीका -
चंदन,चूना वो कलंक,
रात अंधेरी खो मयंक!

©BANDHETIYA OFFICIAL #दिन रात बराबर हैं!

#bekhudi
दिन हो अमा,रात पूर्णिमा,
उसपे गहन, सूर्य -चंद्रमा -
दोनों के दोनों हों ग्रस्त,
इससे अधिक न पल हैं त्रस्त,
इतिहास सबपे किये टीका,
आंकेगा क्या है वो टीका -
चंदन,चूना वो कलंक,
रात अंधेरी खो मयंक!

©BANDHETIYA OFFICIAL #दिन रात बराबर हैं!

#bekhudi

#दिन रात बराबर हैं! #bekhudi #पौराणिककथा