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परिवार कट गए हैं,परदेसों भटक रहे हैं। मिलने को अपन

परिवार कट गए हैं,परदेसों भटक रहे हैं।
मिलने को अपनों से,अपने तड़प रहे हैं ।
थमे हुए पहिये जीवन के,उम्मीद आँख से बह निकली!
मिल कर गले नहीं रो सकते,दूर-दूर ही सुबक रहे हैं।
'आग लगे जंगल' के जैसे- शहर हुए ,
बेघर हो मजदूर कार्मिक झुलस रहे हैं।
सुन लो हे भगवान!हृदय के उठते क्रंदन,
क़हर मिटाओ जल्दी करता मैं अभिवंदन!
आदमी उम्मीदियाँ जीने की,अपनी खो रहे हैं।
दूरी तय करने मीलों की,रोज़ मौत से झड़प रहे हैं। #collabwithकोराकाग़ज़
#कोराकाग़ज़
#हमलिखतेरहेंगे
#गुलिस्ताँ
#yqdidi
#yqbaba        #YourQuoteAndMine
Collaborating with Shelly Jaggi
परिवार कट गए हैं,परदेसों भटक रहे हैं।
मिलने को अपनों से,अपने तड़प रहे हैं ।
थमे हुए पहिये जीवन के,उम्मीद आँख से बह निकली!
मिल कर गले नहीं रो सकते,दूर-दूर ही सुबक रहे हैं।
'आग लगे जंगल' के जैसे- शहर हुए ,
बेघर हो मजदूर कार्मिक झुलस रहे हैं।
सुन लो हे भगवान!हृदय के उठते क्रंदन,
क़हर मिटाओ जल्दी करता मैं अभिवंदन!
आदमी उम्मीदियाँ जीने की,अपनी खो रहे हैं।
दूरी तय करने मीलों की,रोज़ मौत से झड़प रहे हैं। #collabwithकोराकाग़ज़
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