क्यों ढूंढ रहा हूँ मैं उसको जब उसके आने की कोई उम्मीद ही नहीं डूबा हूँ मैं उसकी याद में उसे ये भी पता नहीं ढूंढ तो लूँ मैं उसे कहीं ना कहीं से मगर क्या फायदा उसे अब मेरे से प्यार ही नहीं प्यार ही नही