समझती क्यूँ नही तू आँखों के इशारों को महसुस कर दिल की तड़प करार दे मेरे इंतजारों को सुन क्या कहती ये फिजाएँ आवाज देती इन बहारो को दिल में तु समायी है बसी तु मेरे धड़कन में जुदा न कर दिल से ऐसे कि मर ही न जांऊ सनम आ भी जा मेरे बांहों मे है तुझे मेरे चाहत की कसम सजा न दे अब मुझे जो दी दूर होके ये गम ऐ हमदम सनम मेरे रहूंगा हरपल साथ हर जनम मे सुना सा लगे ये जहाँ जबसे है तु मुझसे खफा मुरझा गई खुशियों की कली रुठ गया शायद मेरा खुदा तुही तो है मेरा सबकुछ मै कुछ नही तेरेबिन ओ जानेवफा है तु मेरा मकसद इस विरानी सी जीवन में सुनीताशत्रुहनसिंह नेताम ©Sunitashatruhansingh Netam #ऊफ तेरी ये बेरुखी विजय Niraj Chauhan