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पावन गंगा घाट बने मंदिर बने हजार। निर्मल नीर



पावन गंगा  घाट  बने  मंदिर बने  हजार।
निर्मल नीर बहे  सदा  मां  गंगा  की धार।
धरती पर  प्रवाह करी बनके मानव मात, 
भक्तों पर  करती सदा, गंगा मां उपकार।

देख सनम मधुमास में आंखें होती चार।
साजन तेरे साथ में सात जन्म का प्यार।
जीवन साथी बन गये मंड़प पकड़े हाथ,
आपस में करते रहे जीवन भर उपकार।

डॉ. भगवान सहाय मीना
बाड़ा पदमपुरा, जयपुर, राजस्थान।

©Dr. Bhagwan Sahay Rajasthani
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