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अपनों पर एतबार किया शायद खुद से ज्यादा प्यार किया।

अपनों पर एतबार किया शायद खुद से ज्यादा प्यार किया।
अपनों ने ही दिल तोड़ा मेरा और अपनों ने ही बर्बाद किया।

अपनों की खुशी की खातिर ही अपनी सारी खुशियां छोड़ी।
शायद हम ही गलत थे जो उनके लिए अपनी दुनिया छोड़ी।

निभाते रहे हम फर्ज सभी अपने दिल पर पत्थर रखकर।
सब उठाते रहे फायदा हमारा अपने चेहरे बदल बदल कर।

रातों की नींद उड़ाई अपनी, दिन का भी चैन गवायां हमने
सभी बेवफाई करते रहे और सबसे वफादारी निभाई हमने।

किसको अब क्या दोष दें जब आस्तीन में सांप पाल रखे थे।
खुद ही जख्म खाते थे और उन्हें खुद ही दूध पिलाते रहते थे। 

गैरों से क्या शिकवा करें जब अपनों ने ही लूट लिया हमको।
शायद हम ही गलत थे जो जान कर भी पहचान ना सके उनको। #शायद_हम_ही_गलत_थे_team_alfaz #newchallenge

There is new challenge of poem/2 line/4 line in whatsapp group (link in bio)
Today's Topic is 

*शायद हम ही गलत थे*

Any writer can write anything but *remember the rule*
अपनों पर एतबार किया शायद खुद से ज्यादा प्यार किया।
अपनों ने ही दिल तोड़ा मेरा और अपनों ने ही बर्बाद किया।

अपनों की खुशी की खातिर ही अपनी सारी खुशियां छोड़ी।
शायद हम ही गलत थे जो उनके लिए अपनी दुनिया छोड़ी।

निभाते रहे हम फर्ज सभी अपने दिल पर पत्थर रखकर।
सब उठाते रहे फायदा हमारा अपने चेहरे बदल बदल कर।

रातों की नींद उड़ाई अपनी, दिन का भी चैन गवायां हमने
सभी बेवफाई करते रहे और सबसे वफादारी निभाई हमने।

किसको अब क्या दोष दें जब आस्तीन में सांप पाल रखे थे।
खुद ही जख्म खाते थे और उन्हें खुद ही दूध पिलाते रहते थे। 

गैरों से क्या शिकवा करें जब अपनों ने ही लूट लिया हमको।
शायद हम ही गलत थे जो जान कर भी पहचान ना सके उनको। #शायद_हम_ही_गलत_थे_team_alfaz #newchallenge

There is new challenge of poem/2 line/4 line in whatsapp group (link in bio)
Today's Topic is 

*शायद हम ही गलत थे*

Any writer can write anything but *remember the rule*