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अब ये न पूछना की, ये अल्फ़ाज़ कहाँ से लाता हूँ, कुछ

अब ये न पूछना की, ये अल्फ़ाज़ कहाँ से लाता हूँ,
कुछ चुराता हूँ दर्द दूसरों के, कुछ अपनी सुनाता हूँ!!
*अनिकेत गुप्ता*
अब ये न पूछना की, ये अल्फ़ाज़ कहाँ से लाता हूँ,
कुछ चुराता हूँ दर्द दूसरों के, कुछ अपनी सुनाता हूँ!!
*अनिकेत गुप्ता*