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शिकस्त खाकर भी एक परिंदा बाज बनता रहता है, शख्स बद

शिकस्त खाकर भी एक परिंदा बाज बनता रहता है,
शख्स बदतमीजी से मिले वो जलील है जलील रहता है।
शिकस्त खाकर भी एक परिंदा बाज बनता रहता है,
शख्स बदतमीजी से मिले वो जलील है जलील रहता है।